हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी इंक़ेलाब के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने फरमाया,हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.के बाद कोई भी किसी भी अर्थ में उनसे ज़्यादा फ़ज़ीलत वाला नहीं है और न होगा लेकिन उन्होंने दुनिया से जाने से पहले अगले दर्जों के लिए भी, जिनमें इस उम्मत का मार्गदर्शन होना चाहिए,
ग़ैबत के ज़माने तक के लिए अपने जानशीनों की निशानदेही कर दी और उन्हीं जानशीनों ने उम्मत के इमाम की निशानदेही की उन्होंने इस उम्मत को यूं ही उसके हाल पर नहीं छोड़ दिया कि वह भटकती रहे बल्कि उसके लिए इमाम की निशानदेही की
जब तक मासूम इमाम रहे, वही उम्मत के इमाम थे और अपने बाद उन्होंने फ़क़ीहों (धर्म व शरीयत का गहरा इल्म रखने वालों) को इस उम्मत की हिफ़ाज़त के लिए निर्धारित किया, जो इस्लाम की पहचान रखते हैं,
जो दुनिया पर मरने वाले नहीं हैं, जो दुनिया से मुंह मोड़े हुए हैं, जो दुनिया की चकाचौंध पर ध्यान नहीं देते, जो इस उम्मत के हमदर्द हैं, जो इस उम्मत को अपने बच्चों की तरह समझते हैं।
इमाम ख़ुमैनी,9/12/1979